क्रिप्टो विनियमन पर वैश्विक परिदृश्य: देशों की अलग-अलग रणनीतियाँ और भारत के सामने चुनौतियाँ
टोकन से लेकर पूरे डिजिटल इकोसिस्टम तक – नियमन का दायरा और वैश्विक अनुभव से सबक
दुनिया भर में डिजिटल संपत्तियों (Digital Assets) का दायरा तेजी से मुख्यधारा की वित्तीय प्रणाली में प्रवेश कर रहा है। अब बहस इस बात पर नहीं है कि क्रिप्टो को रेगुलेट किया जाए या नहीं, बल्कि इस पर है कि कौन करेगा और कैसे करेगा। इसके साथ ही यह भी स्पष्ट करने की जरूरत है कि वास्तव में विनियमित (Regulate) किस चीज़ को किया जाएगा और इसका अंतिम उद्देश्य क्या होगा।
नियमन सिर्फ टोकन तक सीमित नहीं, पूरा डिजिटल बिज़नेस इकोसिस्टम दायरे में
वैश्विक स्तर पर नियमों का दायरा केवल क्रिप्टो टोकन तक सीमित नहीं है। इसमें उन सभी व्यापारिक सेवाओं और ढांचों को शामिल किया जा रहा है जो क्रिप्टो पर आधारित हैं, जैसे—
- एक्सचेंज प्लेटफ़ॉर्म
- वॉलेट प्रदाता (Wallet Providers)
- कस्टडी सर्विसेज़
- पेमेंट गेटवे
इनसे जुड़े जोखिम भी ध्यान में लिए जा रहे हैं—निवेशक धन की हानि, बाजार में अचानक उतार-चढ़ाव, मनी लॉन्ड्रिंग, आतंक वित्तपोषण और वित्तीय प्रणाली की स्थिरता पर खतरे।
प्रतिभूति नियामकों का बढ़ता दायरा – अमेरिका, कनाडा और नाइजीरिया के उदाहरण
कई देशों ने क्रिप्टो को प्रतिभूति कानून (Securities Law) के तहत लाने का फैसला किया है।
- अमेरिका: SEC (Securities and Exchange Commission) ने कई क्रिप्टो टोकनों को प्रतिभूति के रूप में वर्गीकृत कर बिना पंजीकरण वाली पेशकशों पर सख़्त कार्रवाई शुरू की।
- कनाडा: डिजिटल संपत्तियों को “निवेश अनुबंध” (Investment Contract) मानते हुए अनिवार्य खुलासा, पंजीकरण और कस्टडी सुरक्षा लागू की गई है।
- नाइजीरिया: 2025 के Investments and Securities Act के तहत बिटकॉइन समेत सभी डिजिटल संपत्तियों को प्रतिभूति नियामक के अधिकार क्षेत्र में लाया गया।
गतिविधि-आधारित ढांचा – ऑस्ट्रेलिया और थाईलैंड का तरीका
कुछ देशों ने Activity-Based Regulation अपनाया है, जिसमें टोकन का कार्यात्मक उपयोग (Functional Use) नियमन का आधार है।
- ऑस्ट्रेलिया और थाईलैंड में नियम इस पर आधारित हैं कि टोकन का वास्तविक आर्थिक उद्देश्य क्या है।
- इससे निवेशक सुरक्षा, नवाचार को प्रोत्साहन और बाजार पारदर्शिता—तीनों का संतुलन बनता है।
केंद्रीय बैंकों की भूमिका – मौद्रिक संप्रभुता और स्थिरता पर ध्यान
कई देशों में क्रिप्टो नियमन का नेतृत्व केंद्रीय बैंक कर रहे हैं, जिनकी प्राथमिक चिंताएं हैं:
- मौद्रिक नीति पर नियंत्रण
- पूंजी प्रवाह (Capital Flow) का प्रबंधन
- वित्तीय स्थिरता
उदाहरण:
- ब्राज़ील: केंद्रीय बैंक VASPs को लाइसेंस देता है और उनके संचालन की निगरानी करता है।
- सिंगापुर: Monetary Authority of Singapore (MAS) Payment Services Act के तहत क्रिप्टो सेवा प्रदाताओं को नियंत्रित करता है।
वैश्विक नियमन में संस्थागत दृष्टिकोण का अंतर
- प्रतिभूति नियामक: पारदर्शिता, निवेशक समानता, बाजार अखंडता पर ध्यान।
- केंद्रीय बैंक: आर्थिक जोखिम प्रबंधन, प्रणालीगत सुरक्षा, मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम पर फोकस।
भारत की स्थिति – स्पष्ट नीति की ज़रूरत
भारत का रुख अभी भी अनिश्चित है। लंबे समय से प्रतीक्षित चर्चा पत्र आने के बाद ही दिशा स्पष्ट हो सकती है।
- भारत दुनिया के सबसे बड़े क्रिप्टो उपयोगकर्ता आधार वाले देशों में है।
- Chainalysis 2025 रिपोर्ट के अनुसार, भारत क्रिप्टो अपनाने में शीर्ष 3 देशों में शामिल है।
- लेकिन कर ढांचे की जटिलता और कानूनी अस्पष्टता निवेशकों और स्टार्टअप्स के लिए चुनौती बनी हुई है।
रिपोर्ट्स और प्रमाण
- FATF (Financial Action Task Force) रिपोर्ट 2025 के अनुसार, 40% देशों ने क्रिप्टो पर पूर्ण नियामकीय ढांचा तैयार कर लिया है, जबकि 35% अभी भी ड्राफ्ट चरण में हैं।
- BIS (Bank for International Settlements) सर्वे 2025 में पाया गया कि 70% केंद्रीय बैंक क्रिप्टो और CBDC (Central Bank Digital Currency) के लिए अलग-अलग नियामकीय मार्ग अपना रहे हैं।
- IMF (International Monetary Fund) ने चेतावनी दी है कि “नियमों के बिना क्रिप्टो बाजार में अस्थिरता और धोखाधड़ी का जोखिम तेजी से बढ़ता है।”
निष्कर्ष – भरोसेमंद और भविष्य के अनुरूप ढांचा ज़रूरी
क्रिप्टो विनियमन का उद्देश्य किसी को विजेता या हारने वाला बनाना नहीं, बल्कि ऐसा ढांचा तैयार करना है जिसमें—
- नवाचार को बढ़ावा मिले
- जोखिम नियंत्रित हों
- निवेशकों की सुरक्षा सुनिश्चित हो
- नियम स्पष्ट और न्यायसंगत हों
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